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SHERNI ( 2021 ) FULL MOVIE FACTS

 

SHERNI FULL MOVIE DOWNLOAD REVIEW, CAST AND RELEASE DATE

SHERNI FULL MOVIE REVIEW, CAST AND RELEASE DATE

रिलीज़ दिनांक - 18 जून 2021
निर्देशक - अमित मसुर्कर
सिनेमेटोग्राफ़ी - राकेश हरिदास
वितरक - अमेज़न प्राइम वीडियो
निर्माण डिज़ाइन - दीपिका कालरा

कलाकार : विद्या बालन, बृजेन्द्र काला, विजय राज, नीरज कबी, शरत सक्सेना 


SHERNI FULL MOVIE DOWNLOAD REVIEW, CAST AND RELEASE DATE


SHERNI MOVIE से जुड़ी कुछ जानकारी -

विद्या बालन की movie शेरनी अमेजन प्राइम पर रिलीज हो चुकी है।  यह story एक वन विभाग की अफसर की है, जो एक शेरनी को बचाने में लगी है।  हालांकि उसके रास्ते में गांव के लोग, सरकारी महकमें और लोकल राजनेता संग अन्य परेशानियां खड़ी हैं।अंग्रेज़ी से अनुवाद किया गया कॉन्टेंट-शेरनी एक 2021 भारतीय हिंदी भाषा की थ्रिलर movie है, जो अमित वी मसुरकर द्वारा निर्देशित और टी-सीरीज़ और अबुदंतिया एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित है। Movie में विद्या बालन एक वन अधिकारी की मुख्य भूमिका में हैं। सहायक भूमिकाओं में शरत सक्सेना, विजय राज, इला अरुण, बृजेंद्र कला, नीरज काबी और मुकुल चड्ढा के साथ।  कैसी है movie शेरनी और क्या आपको इसे देखना चाहिए?


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SHERNI  FULL MOVIE की कहानी हिंदी में -

मध्‍य प्रदेश के एक जंगली इलाके में नई डीएफओ (डिविजनल फॉरेस्‍ट अफसर) ने जॉइन किया है। वहां गांव में एक बाघि‍न का खौफ है। गांव वालों की जान जा रही है। नई डीएफओ के पास चैलेंज है कि वह बाघ‍िन को भी बचाए और गांव वालों को भी। इंसान बनाम जंगल की इस जद्दोजहद में वह जूझती भी है और 'मर्दों की दुनिया' में एक औरत के तौर पर शेरनी जैसा दम भी दिखाती है।


 

विद्या विंसेंट (विद्या बालन) एक जुझारू और अपने काम को लेकर संजीदा फॉरेस्‍ट अफसर है। उसे नौ साल से प्रमोशन नहीं मिला है। छह साल तक डेस्क पर काम करने के बाद आख‍िरकार बिजासपुर के जंगलों में उसे फील्‍ड जॉब मिली है। गांव और जंगल के बीच उसके सामने कई चुनौतियां हैं। न‍िजी जिंदगी में वह परेशानियों से जूझ रही है। सास और मां उससे बच्‍चा चाहते हैं। विद्या एक वीडियो चैट पर में पति पवन (मुकुल चड्ढा) से कहती है कि अपने काम में कोई ग्रोथ नहीं देख रही है और इस्‍तीफा देने की सोच रही है। पति कहता है कि वह ऐसा न करे, क्‍योंकि कोरोना के कारण उसके कॉरपोरेट जॉब में कोई स्‍थ‍िरता नहीं है। पति मुंबई में रहता है। कई मायनों में विद्या की कहानी पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों ही छोर पर बिखरी हुई है। वह एक पुरुष प्रधान वन विभाग में अकेली महिला अफसर है। उसके सहकर्मी कई मौकों पर उसे कमजोर दिखाने की कोश‍िश करते हैं। जबकि विद्या अपने काम को पूरी प्रतिबद्धता से करती है। उसे अपनी ड्यूटी पता है और वह कहीं भी उसे पूरा करने से हिचकती नहीं है। इसी बीच गांव में T12 के रूप में पहचान की गई बाघ‍िन का खौफ मंडराने लगता है। जंगल के बाद खेत हैं और फिर जंगल। इस बनावट के कारण यह बाघ‍िन खेतों के पास आती है और शिकार करना शुरू कर देती है। इंसान इसे अपना इलाके मानते हुए बाघ‍िन से छुटकारा चाहते हैं। गांव वालों का कहना है कि बाघों का इस तरह उनके खेतों से गुजरना सामान्‍य बात है। लेकिन विकास की दौड़ में घास के मैदान खत्‍म कर दिए गए हैं और वह ऐसे में अपने जानवरों को चारा ख‍िलाने के लिए जंगल की ओर जाने पर मजबूर हैं। कहानी में कुछ स्थानीय राजनेता भी हैं, जिन्‍हें सिर्फ चुनाव जीतने से मतलब है। वह बाघ‍िन को दुश्‍मन मानते हैं और उसे मारना चाहते हैं। जबकि विद्या इन सब के बीच बाघिन को बचाना चाहती है।इस पूरी कवायद के बीच विद्या का बॉस बंसल (बृजेंद्र काला) भी है। उसे बस छुटकारा पाना है। समस्‍याओं से। इस गांव से। वह तबादला करवाने की जुगत में भी है। बाघ‍िन को बचाने या मारने की तैयारी के बीच शूटर राजन राजहंस (शरत सक्‍सेना) को भी बुलाया जाता है। लेकिन विद्या बाघ‍िन को बचाना चाहती है। उसे वापस दूर जंगल में भेजना चाहती है। कुछ गांव वाले विद्या का साथ भी देते हैं। एक और सीनियर अध‍िकारी नांगिया (नीरज काबी) की एंट्री होती है। कॉलेज में प्रोफेसर हसन नूरानी (विजय राज) भी विद्या की मदद करते हैं। कुछ और बड़े राजनेता आते हैं। सभी जंगल में बाघिन को ढूंढ़ रहे हैं। फर्क बस इतना है कि अध‍िकतर उसे मारना चाहते हैं, तो कुछ उसे बचाना।



डायरेक्‍टर अमित मसुरकर ने खूबसूरत जंगल को दिखाते हुए एक जटिल story बुनी है। वह इस आदमी बनाम जानवर की लड़ाई में गहराई से गोता लगाते हैं। आस्था टिक्कू ने स्‍क्रीनप्‍ले को बड़ी सावधानी से पूरे विस्‍तार में सामने रखा है। यह न सिर्फ विद्या के मन और उसकी चाहत को दिखाता है, बल्कि विभाग के कामकाज के साथ-साथ यह भी समझाने की कोश‍िश की गई है कि गांव और जंगल कैसे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।सिनेमेटोग्राफर राकेश हरिदास के कैमरे ने कमाल का काम किया है। अनीश जॉन का साउंड डिजाइन भी कैमरे का साथ देता है। घने जंगल के बीच ढलती धूप, चिड़‍ियों की चहचहाहट, कीड़ों की भनभनाहट, पत्तियों की सरसराहट, पक्षियों और जानवरों की अलग-अलग आवाजें - यह सब आपको जंगल के करीब लेकर जाती हैं। Movie में विद्या से उनका एक सहयोगी कहता है- आप 100 बार जंगल में जा सकते हैं और शायद एक बार बाघ को देख सकते हैं, लेकिन बाघ ने आपको 99 बार देखा है। यह डायलॉग अपने आप में यह बताने के लिए काफी है कि इंसान जंगल में घुसे हैं। जानवरों का तो वो घर है। वही वहां के असली मालिक हैं। बेनेडिक्‍ट टेलर और नरेन चंदावरकर का बैकग्राउंड स्कोर कहानी में घुले रहस्य को प्रभावी बनाता है। Movie में सिर्फ एक गाना है, जो (बंदिश प्रोजेक्ट का म्‍यूजिक, हुसैन हैदरी के गीत) सही समय पर सही चोट करने लिए काफी है।

विद्या बालन (Vidya Balan) एक बार फिर पर्दे पर अपनी ऐक्‍ट‍िंग से प्रभावित करती हैं। वह कमजोर दिख सकती है, लेकिन उसकी सोच शक्तिशाली है। वह शांत है, लेकिन उसका दृढ़ संकल्प, जुनून और धैर्य आपको उसकी ओर खींचता है। विद्या बोलती नहीं हैं, लेकिन उसकी आंखें गुस्‍सा जाहिर करती हैं। विद्या बालन ने इस movie के जरिए एक बार फिर सेक्सिज्म यानी महिलाओं को लेकर पूर्वाग्रहों को दिखाने का काम किया है। विजय राज (Vijay Raaz), बृजेंद्र कला (Brijendra Kala), नीरज काबी (Neeraj Kabi), समपा मंडल, शरत सक्सेना (Sharat Saxena) ने भी अपने काम को सहज तरीके से किया है। सत्‍यकाम आनंद भी अपने किरदार में छाप छोड़ते हैं।

बतौर डायरेक्‍टर अमित मसूरकर दर्शकों को 2 घंटे 10 मिनट तक बांधे रखने में सफल हुए हैं। हालांकि, कुछ हिस्‍सों में movie की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ती है। लेकिन जैसे-जैसे movie में बाघ‍िन की तलाश शुरू होती है, यह जंगल की पगडंडियों से होते हुए एक रोमांचक सफर पर निकल जाती है। फिल्‍म में कई जगहों पर हंसी-ठ‍िठोली के बहाने कटाक्ष करने की भी कोश‍िश की गई है। आख‍िर में वन्यजीव संरक्षण और ईकोसिस्‍टम में बैलेंस बनाए रखने के बारे में मसुरकर की यह movie एक संदेश दे जाती है। 'शेरनी' एक इंटेंस movie है। रोमांचक है। इसे जरूर देखा जाना चाहिए। यदि आप बॉलि‍वुड में आम तौर पर दहाड़ मारने वाली movies की उम्‍मीद लगाए बैठे हैं, तो यह आपको निराश कर सकती है।
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